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Showing posts from 2020

ज़िन्दगी का गीत

 मेरे  साथ  ज़िन्दगी  का गीत गाइये, अपने ही धुन में रहकर गुनगुनाइये। हर गम को ख़ुशी से पी जाइये , जीवन में मौज की बहार लाइये, मेरे  साथ  ज़िन्दगी का गीत गाइये। इंसान वो महान धैर्य है जिसमें , मुसीबत से लड़ने  साहस है जिसमें।  मंजिल केलिए अथक चलते जाइये  मेरे  साथ  ज़िन्दगी का गीत गाइये। विश्वास हो अडिग तो,पर्वत काट दे , अटल हो संकल्प तो बाधा क्या करे, बोलने वालों की फ़िक्र फिर कौन करे  सर झुके न कभी ऐसा चरित्र बनाइये,  मेरे  साथ  ज़िन्दगी का गीत गाइये। आप हैं महान,आपसे दूजा न कोई , कीजिये न फ़िक्र सोचता क्या कोई।  अपनी काबिलियत को अब तो पहचानिये, अपने ही धुन में रहकर गुनगुनाइये, मेरे  साथ  ज़िन्दगी का गीत गाइये। - रघुपति झा 

लक्ष्य के अभिलाषी

उठो! हे "लक्ष्य  के अभिलाषी ", कब तक समय गवांओगे, व्यर्थ की बातों में उलझ कर क्या अर्थहीन ही  रह जाओगे।  पद-पद पर तेरे उलझन होंगे, काटों का तेरा डगर होगा,  मगर इन कंकर पर चलकर तुम लक्ष्य को पा जाओगे।  मनुज वो वीर नहीं जो पीछे हट जाते, हैं वो जो डट जाते, भारत की भूमि पर तू जन्मा, श्रम तेरा इतिहास है।  खड़े यदि तुम साथ खुद के हर मुसीबत से लड़ जाओगे, उठो! हे "लक्ष्य  के अभिलाषी ", कब तक समय गवांओगे। माना कि अब तुम टूट चुके, हर ख्वाब से तुम रूठ चुके , धीरज भी नहीं बची अब तुम में, हौशला तुम अपना छोड़ चुके। मंजिल जो भी नहीं मिला तुमको कुशल राहगीर हो जाओगे,  मगर सपने ये तेरे सच होंगे,तुम बहुत नाम कमाओगे, खाली  हाथ आए थे मगर दुनिया को अपना नाम दे जाओगे। संघर्ष  अभी कर लो तुम, युगों-युगों तक गाये जाओगे, उठो! हे "लक्ष्य  के अभिलाषी ", कब तक समय गवांओगे।  - रघुपति झा  

MONSOON KI PEHLE BAARISH (FICTIONAL STORY) part-1

MAIN GHAR ME BAITHA KOI KAM KAR RAHA THA, BAHAR TEJ HAWAA CHAL RAHI THI, KALE BADAL KI WAJAH SE ANDHERA CHAYA HUA THA, ACHANAK BAHUT TEJ GARJAN HUI,ANDHERE KO CHIRTE HUE TEJ BIJLI CHAMKI PHIR MOTE BAARISH KE BOONDO NE VASUDHA PAR TAPAKNA SURU KAR DIYA CHARON OR MITTI KI KHUSBOO PHAIL GAYI MAINE CHAI KA CUP LIYA AUR  JAKAR KURSI PAR BAITH GAYA JAHAN BAARISH K KUCH BUNDEN AA RAHI THI  JAISE HI MAINE CHAI KI PAHLI CHUSKI LI MONSOON SI JUDI EK YAD TAJA HO GAYI.BARSAT KEVAL PANI KE BUNDON TAK  HI SIMIT NAHI HAI ISSE BHAVNAYEN JURI HUI HOTI HAI,  BAT SCHOOL KE DINON KI HAI SCHOOL ME CHHUTTI KE SAMAY KAFI TEJ BAARISH HONE LAG GAYI,MAIN BHIGTA HUA AKELE SARAK PAR NIKAL GAYA.ABHI KUCH DUR CHALA HI THA KI, ACHANAK PICHE SE AWAAZ AAYI  "RAGHU" BAARISH ME BHIGTE, BADAN ME MANO AAG LAG GAYI YE WAHI AWAZ THI JISKE MUKH SE "RAGHU" SUNNE KA MUJHE LAMBE SAMAY SE INTZAR THA USNE PICHE SE AKAR MERE HATH KO PAKARA AUR KAHA "KHA JA RAHE HO ITNI JALDI,JALDI HAI...

GUFTAGU

आज फिर तारो तले गया था  मैं   रात  को , कह रही थी चाँदिनी भूल गया क्या अपने वजूद को, देखे थे जो  सपने मेरी गोद में भूल गया क्या सब वो , बेकार की बातों में पड़ा  क्यों भटक रहा दर -बदर था जो तेरा आत्मविश्वास निगल गया क्या "अहम" वो। मैं सहम सा उठा ,विचिलित सा हो पड़ा  कर रहा क्या गलतियाँ  सोचने ये लगा  चलने  लगी  शीतल सी हवा ,छू  गयी मेरे तन को,  झकझोर  दिया उसने मेरे अंतर्मन  को।  नज़र गयी उस चाँद पे  "चेता" रहा  था मुझे  जीवन की  आपा-धापी  में क्या मिला है तुझे  सुकून था जो ख़तम हुआ ,बैचैन तू फिर  रहा  इंसान तूने तो  इंसानियत को ही बेच दिया  आज फिर तारो तले गया था  मैं   रात  को। चाँदिनी  थी  रात  मगर ,मैं अँधेरे में था बड़ा , क्या सही क्या गलत इस असमंजस में खड़ा। मेरे सपने और हकीकत में था  फासला बड़ा भाग-दौड़   थी फ़िज़ूल की कुछ ना  हाथ था लगा। भावनाएँ   थी...

RANDOM THOUGHTS

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Some of this are mine and others I read somewhere.

CALENDAR(ARTICLE ON CHANGING PHASE OF LIFE)

कभी कैलेंडर को गौर से देखने पर ये एहसास होता है, ना जाने इन आँखों ने कितने कैलेंडर के पलटते पन्नों को देखा होगा, कैलेंडर के महज पन्ने ही पलटते हैं, पर अपनी पूरी ज़िंदगी ही बदल जाती है। बच्चे से कब बड़े हो गए पता ही नहीं चला, कब माँ-बाप से दूर रहना सीख लिया, कब इतने बड़े हो गए कि भविष्य की सोचने लगे, और खुद को स्वतंत्र होने से रोकने लगे। हमने ज़िंदगी पर      खुद पाबंदी लगा दी है, कभी बारिश हो तो भीगने का मन नहीं करता, सर्दी ज़ुखाम की सोचने लगते हैं। कैलेंडर के बदलते पन्नों के साथ ज़िंदगी की तस्वीर ही बदल गई, ज़िंदगी भी क्या रंगीन हुआ करती थी जब मैंने कैलेंडर देखना सीखा था, अच्छे थे वो बचपन के दिन जब घड़ी देखना नहीं आता था, कम से कम समय की पाबंदी तो नहीं थी। जब घड़ी देखना माँ ने सीखाया था, तो बहुत खुशी हुई थी, घर में किसी को भी समय बताना हो तो मैं ही दौड़ता था, अब उसी माँ से जीभर कर बात करने के लिए घड़ी नहीं मिलती। ज़िंदगी अब ईट पत्थर से बने जंगल में सिमट कर रह गई है। वो भी क्या दिन थे जब पूरी गली अपनी थी। कभी कभी सोचता हूँ कि ये पूरी ज़िंदगी काग़ज़ में ही सिमट कर रह गयी है...

MY CRUSH( STORY OF MY FIRST LOVE)

My Crush Class 9th Chapter: Gravitation In the realm of physics, the equation gMm/r^2 represents the force of attraction between two celestial bodies. Here, G is a constant, Mm refers to Miss Merry, and R stands for Raghupati Jha. Now, let me narrate the story of my first crush and love. She was a girl with long, flowing hair, big, intoxicating eyes, and a smile that could relieve me of years of pain. Her voice was sweet, and the way she spoke, her friendly demeanor - you couldn't help but fall for her. Her name was Merry. When I first saw her, it was all quite ordinary; there was nothing like the clichéd "love at first sight." Rumors about her character swirled around in school, painting her as a girl with a questionable reputation. But you know what they say, "Jo hai naam wala wahi toh badnaam hai" (The one with a name is the one who gets a bad name). Despite the rumors, there was constant competition and quarrels among the guys for her attention. She used to ...

DEPRESSION(article on current situation of human being)

कभी आपने 90 km/hr से चल रही गाड़ी में अचानक से लगे डिस्क ब्रेक के झटके को महसूस किया है। इससे कही ज्यादा जोर का झटका लगता है जब हम इतनी तेज रफ़्तार से चल रही ज़िन्दगी में "डिप्रेशन" नामक लाइफ ब्रेकर से टकराते हैं। हमारी ज़िन्दगी तो चल रही होती है पर होती है "मरी हुई," "मुरझाई हुई," मर्ज फैलाने जैसी। समस्त ऊर्जा, आपकी शक्ति, तमाम इच्छाएँ, आपके सपने, आपकी खुद से उम्मीदें, आपका भरोसा, आपके हौसले, आपके बेहतरीन ज़िन्दगी की तमन्ना किसी छोटे से "मानसिक जाल" में तड़प रही होती है। माँ की आँखों का तारा, बाप के मजबूत कंधे, भाई की शक्ति, बहन का रक्षक, सब कहीं ज़िन्दगी से हारा हुआ लड़ रहा होता है। ना किसी से बात करने की चाहत, ना कोई जशन, न कोई उमंग, बस जीते हैं हम गाने भी "गिव मी सम सनशाइन गिव मी सम रे" की तरह का ही सुनते हैं। मन होता होगा कहने का कि "मैं कभी बतलाता नहीं पर अँधेरे से डरता हूँ मैं माँ," पर शक्ति इतनी छीन हो चुकी होती है कि क्या कहें, "ए ज़िन्दगी गले लगा ले मुझे" गाना सुन कर ही काम चला लेते हैं। हालत कुछ ऐसी होती है...

प्रियतम (POEM ON BELOVED)

तेरे कानों की बाली, तेरे आँखों के सुरमे,  तेरे होठों की लाली, तेरी खुली वो जुल्फे, तेरी काली सी कुर्ती, तेरी चमकती वो बिंदिया, तेरे पायल की छन-छन, तेरा चंचल चित मन, प्रियतम प्रियतम प्रियतम तुम लाज़वाब हो।   तेरे बातों में शरारत, तेरी नटखट सी आदत, तेरा मासूम सा चेहरा, तेरे शर्मीली वो अदाएं, तेरा मुड़ के मुझे देखना और देख के तेरा हँसना,   जो तू रो दे तो ज़ख्म, जो तू हँस तो मरहम, प्रियतम प्रियतम प्रियतम तुम लाज़वाब हो।   वो बारिश का मौसम और साथ तेरा प्रियतम  वो चाय की चुस्की, तेरे बचपन के किस्से  वो काली सी रात में हुई अनगिनत बात  वो सपनों की दुनियाँ ,वो खुशियों का दामन  प्रियतम प्रियतम प्रियतम तुम लाज़वाब हो।   तेरे  जाने  का गम , तेरी बेवफ़ाई  के  किस्से  तेरे  यादों  का सहारा , तेरे  दिये  सूखे  गुलाबों से  गुज़ारा  तेरे  सकल  की  इतनी  है  आदत  की  भीड़ में दिखे  तू  ही तू  आजकल  तुझे  फिर से ...

DASTAK(POEM ABOUT CORONA RISK AND PRECAUTION)

  दस्तक! दस्तक! दानव आया, है ये कितनो का हत्यारा । दबे पाँव चाल है इसकी, चुपके चुपके हर देश को आया। घुटने टेक दिए कितनो ने, फिर भी जाहिल जनता को समझ ना आया। सरकार ने फिर उपाय लगाया , मॉल ,कॉलेज,दफ्तर सब बंद करवाया। बुद्धू जनता फिर मौका पाकर,छुट्टी समझ मज़े खूब उड़ाया दानव ने फिर मौका पाकर,अपनी संख्या खूब बढ़ाया दस्तक! दस्तक! दानव आया। है चेतावनी! तुम्हे अभी भी, साबुन,मास्क सब खूब लगाओ। खासे,छींके कोई  बगल  तो मीटर  भर की दुरी बनाओ। घर का खाना ,घर का पीना, दाई  ,रसोइये पे पाबंद लगाओ। मिले जो कोई मित्र या साथी, हाथ "जोड़ " अभिवादन कर आओ, मिलेंगे हम फिर कल-परसो , पर पहले दस्तक  दानव के तो भगाओ। अगर किसी के पल्ले ये पड़ ना पाए ,  आंकड़े मृत्यु के उसे दिखाओ,  कोरोना महामारी  के संकट उसको बतलाओ इटली ,अमेरिका  में उसके दहसत दिखलाओ  । फिर भी जो वो करे तमाशा, फ़ौरन पुलिस को फ़ोन लगाओ। बोले जो कोई जाने को बाहर , कान के नीचे  तीन बजाओ।  और जो कोई फैलाए अफवाह , साइबर क्राइम केस लगाओ।...