प्रियतम (POEM ON BELOVED)
तेरे कानों की बाली, तेरे आँखों के सुरमे,
तेरे होठों की लाली, तेरी खुली वो जुल्फे,
तेरी काली सी कुर्ती, तेरी चमकती वो बिंदिया,
तेरे पायल की छन-छन, तेरा चंचल चित मन,
प्रियतम प्रियतम प्रियतम तुम लाज़वाब हो।
तेरे बातों में शरारत, तेरी नटखट सी आदत,
तेरा मासूम सा चेहरा, तेरे शर्मीली वो अदाएं,
तेरा मुड़ के मुझे देखना और देख के तेरा हँसना,
जो तू रो दे तो ज़ख्म, जो तू हँस तो मरहम,
प्रियतम प्रियतम प्रियतम तुम लाज़वाब हो।
वो बारिश का मौसम और साथ तेरा प्रियतम
वो चाय की चुस्की, तेरे बचपन के किस्से
वो काली सी रात में हुई अनगिनत बात
वो सपनों की दुनियाँ ,वो खुशियों का दामन
प्रियतम प्रियतम प्रियतम तुम लाज़वाब हो।
तेरे जाने का गम , तेरी बेवफ़ाई के किस्से
तेरे यादों का सहारा , तेरे दिये सूखे गुलाबों से गुज़ारा
तेरे सकल की इतनी है आदत की भीड़ में दिखे तू ही तू आजकल
तुझे फिर से चाहने की चाहत , मेरे हर दुआ तेरे आने की इबादत
लौट आओ प्रियतम अधूरा है ये जीवन , क्यूंकि
प्रियतम प्रियतम प्रियतम तुम लाज़वाब हो।
-रघुपति झा
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