DASTAK(POEM ABOUT CORONA RISK AND PRECAUTION)
दस्तक! दस्तक! दानव आया,
है ये कितनो का हत्यारा ।
दबे पाँव चाल है इसकी,
चुपके चुपके हर देश को आया।
घुटने टेक दिए कितनो ने,
फिर भी जाहिल जनता को समझ ना आया।
सरकार ने फिर उपाय लगाया ,
मॉल ,कॉलेज,दफ्तर सब बंद करवाया।
बुद्धू जनता फिर मौका पाकर,छुट्टी समझ मज़े खूब उड़ाया
दानव ने फिर मौका पाकर,अपनी संख्या खूब बढ़ाया
दस्तक! दस्तक! दानव आया।
है चेतावनी! तुम्हे अभी भी,
साबुन,मास्क सब खूब लगाओ।
खासे,छींके कोई बगल तो
मीटर भर की दुरी बनाओ।
घर का खाना ,घर का पीना,
दाई ,रसोइये पे पाबंद लगाओ।
मिले जो कोई मित्र या साथी,
हाथ "जोड़ " अभिवादन कर आओ,
मिलेंगे हम फिर कल-परसो ,
पर पहले दस्तक दानव के तो भगाओ।
अगर किसी के पल्ले ये पड़ ना पाए ,
आंकड़े मृत्यु के उसे दिखाओ,
कोरोना महामारी के संकट उसको बतलाओ
इटली ,अमेरिका में उसके दहसत दिखलाओ ।
फिर भी जो वो करे तमाशा,
फ़ौरन पुलिस को फ़ोन लगाओ।
बोले जो कोई जाने को बाहर ,
कान के नीचे तीन बजाओ।
और जो कोई फैलाए अफवाह ,
साइबर क्राइम केस लगाओ।
अगर जीत गए ये जंग तुम ,
तो महावीर कहलाओगे ,
नहीं तो महामारी के शिकार होकर
बेमौत मारे जाओगे ।
करो नियंत्रण अभी इतना तुम,
की सब नियंत्रित हो जाए और कहलाए ,
दस्तक जो दानव का भारत आया,
भारतीयों ने क्या मज़ा चखाया
काट दिये हाथ पैर उसके,
फिर आगे वो फ़ैल न पाया।
दस्तक! दस्तक! दानव आया।
-रघुपति झा
Comments
Keep it up👍
Isse kuch Sikh jaroor lijiye sub.
Use se sikha kaha likhte hai...