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Showing posts from October, 2020

ज़िन्दगी का गीत

 मेरे  साथ  ज़िन्दगी  का गीत गाइये, अपने ही धुन में रहकर गुनगुनाइये। हर गम को ख़ुशी से पी जाइये , जीवन में मौज की बहार लाइये, मेरे  साथ  ज़िन्दगी का गीत गाइये। इंसान वो महान धैर्य है जिसमें , मुसीबत से लड़ने  साहस है जिसमें।  मंजिल केलिए अथक चलते जाइये  मेरे  साथ  ज़िन्दगी का गीत गाइये। विश्वास हो अडिग तो,पर्वत काट दे , अटल हो संकल्प तो बाधा क्या करे, बोलने वालों की फ़िक्र फिर कौन करे  सर झुके न कभी ऐसा चरित्र बनाइये,  मेरे  साथ  ज़िन्दगी का गीत गाइये। आप हैं महान,आपसे दूजा न कोई , कीजिये न फ़िक्र सोचता क्या कोई।  अपनी काबिलियत को अब तो पहचानिये, अपने ही धुन में रहकर गुनगुनाइये, मेरे  साथ  ज़िन्दगी का गीत गाइये। - रघुपति झा 

लक्ष्य के अभिलाषी

उठो! हे "लक्ष्य  के अभिलाषी ", कब तक समय गवांओगे, व्यर्थ की बातों में उलझ कर क्या अर्थहीन ही  रह जाओगे।  पद-पद पर तेरे उलझन होंगे, काटों का तेरा डगर होगा,  मगर इन कंकर पर चलकर तुम लक्ष्य को पा जाओगे।  मनुज वो वीर नहीं जो पीछे हट जाते, हैं वो जो डट जाते, भारत की भूमि पर तू जन्मा, श्रम तेरा इतिहास है।  खड़े यदि तुम साथ खुद के हर मुसीबत से लड़ जाओगे, उठो! हे "लक्ष्य  के अभिलाषी ", कब तक समय गवांओगे। माना कि अब तुम टूट चुके, हर ख्वाब से तुम रूठ चुके , धीरज भी नहीं बची अब तुम में, हौशला तुम अपना छोड़ चुके। मंजिल जो भी नहीं मिला तुमको कुशल राहगीर हो जाओगे,  मगर सपने ये तेरे सच होंगे,तुम बहुत नाम कमाओगे, खाली  हाथ आए थे मगर दुनिया को अपना नाम दे जाओगे। संघर्ष  अभी कर लो तुम, युगों-युगों तक गाये जाओगे, उठो! हे "लक्ष्य  के अभिलाषी ", कब तक समय गवांओगे।  - रघुपति झा